उदय बुलेटिन के चेताने पर योगी सरकार ने लिया संज्ञान, राशन कार्ड से जुड़ा है मामला
राशन कार्ड सरेंडर करने और रिकवरी के जिस नोटिफिकेशन को सरकार जारी किया उसे वापस ले लिया है।
मामला उत्तर प्रदेश की भूख से जुड़ा हुआ है, वही भूख जो इंसान को सही और गलत के फर्क को भी धुंधला कर देती है। दरअसल उदय बुलेटिन को आम लोगों द्वारा लगातार जानकारी उपलब्ध कराई जा रही थी कि कोटेदारों और डिस्ट्रिक एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा पात्र गृहस्ती और गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों के राशन कार्ड्स को लेकर अलग-अलग भ्रांतिया फैलाई जा रही है।जिनका निराकरण होना नितांत आवश्यक है। सरकार को महज ट्वीट के माधयम से जानकारी देने पर कुछ ही समय बाद सरकार ने घोषणा करते हुए इस मामले पर जानकारी साझा की है।
सरकार ने लिया संज्ञान:
उत्तर प्रदेश के राशन कार्ड धारकों में उस वक्त उहापोह की स्थिति हो गयी जब राशनकार्ड धारकों को जिला प्रशासन द्वारा सख्त आदेश जारी किए गए कि अपात्र राशनकार्ड स्वतः अपने कार्ड सम्बंधित प्राधिकारी के पास जाकर सरेंडर कर दें अन्यथा विभागीय जांच में अपात्र पाए जाने पर मिलने वाले राशन को बाजार मूल्य पर उपभोक्ता से रिकवर किया जाएगा।
इस मामले पर उदय बुलेटिन को बाँदा महोबा और कर्वी जिलों से लोगों के द्वारा ऐसे कई मामले रिपोर्ट किये गए जिनमें अधिकारियों और कोटेदारों द्वारा मनमाने ढंग से नियमों को तोड़ मरोड़ कर राशन कार्ड सरेंडर करने की धमकी और मिश्रित हिदायतें दी जा रही थी। जिसमें सिंचित असिंचित जमीन का मामला काफी पेचीदा था, यही नही लाइसेंसी हथियार धारक के साथ-साथ पशुपालकों को भी इस लाभ से वंचित करने की बात की जा रही थी। हालात यह थे कि गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले राशनकार्ड धारकों और पात्र गृहस्ती कार्ड धारकों की नियमावली को लगभग मिश्रित किया गया और लोगों और प्रशासन के बीच सही तालमेल न बैठने के कारण लोगों मे भ्रम की स्थिति पैदा हो गयी और इसका लाभ बीच के बिचौलिये और कोटेदार उठाने लगे। इस पर उदय बुलेटिन ने तत्काल प्रभाव से उत्तर प्रदेश सरकार के साथ-साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बाँदा जिला प्रशासन को टैग करके जानकारी उपलब्ध कराई।
ग्रामीणों ने मटौन्ध ग्रामीण क्षेत्र के एक कोटेदार की मनमानी से त्रस्त होकर अपने सभी कार्ड सरेंडर करने की सामूहिक योजना बनाई है, लोगो का आरोप है कि जब सरकार और कोटेदारों के बीच इतनी गलतफहमी पनप रही है तो आम लोगो का क्या होगा,
कोटेदारों का कोटा भी निरस्त होना चाहिए — Uday bulletin bundelkhand region (@udaybundel_) May 22, 2022
ट्वीट के बाद शाम तक सरकार ने बाकायदा आदेश जारी कर दिया:
इस मामले पर प्रदेश के आयुक्त खाद्य एवं रसद विभाग सौरभ बाबू के द्वारा समाज और सोशल मीडिया में फैली हुई खबरों का खंडन करते हुए आदेश जारी किया गया कि पूर्व में जिस तरह की अफवाहों को जानबूझकर प्रसारित किया गया उनका खाद्य एवं रसद विभाग पूर्ण खंडन करता है। हालांकि आयुक्त ने जानकारी देते हुए बताया कि पात्र अपात्रों का चयन और छटनी एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है जिसमें शामिल नियमावली आज से नही बल्कि 7 अक्टूबर 2014 से लागू है और वही नियम आज भी मानक के तौर पर चल रहे है। जिसमें शहरी और ग्रामीण क्षेत्र दोनो पर अलग-अलग मानक रखे गए है, अपात्र राशनकार्ड धारकों के ऊपर रिकवरी के मामले पर खाद्य आयुक्त ने जानकारी देते हुए बताया कि यह महज एक अफवाह है, सरकार द्वारा ऐसा कोई आदेश जारी नही हुआ है, उदय बुलेटिन समझता है कि उसने चतुर्थ स्तंभ होने के नाते समाज मे फैली हुई अफवाहों और भ्रांतियों को सरकार के सामने रखा और अपनी जिम्मेदारी निभाई और सरकार की तरफ से खाद्य आयुक्त ने ट्वीट करने के लगभग 6 घंटे के बाद इस घोषणापत्र को जारी किया।
आखिर गड़बड़ी कहां हुई?
दरअसल सरकार जिस तरह यूटर्न लेती हुई नजर आ रही है उसको लेकर आमजन भौचक्का है, रिकवरी से जुड़े हुए आदेशों को महज फर्जी तौर पर नही बल्कि इन आदेशों को उत्तर प्रदेश के लगभग हर जिले के जिलाधिकारियों के द्वारा जारी किया गया था। इस प्रकार से इन आदेशों को फर्जी कहना भी सही नही होगा, इस प्रकार से अगर यह कहा जाए कि यह एक मिस कम्युनिकेशन का मामला था अथवा सरकार ने आगामी चुनावों के चलते अपने आदेशों को खींच लिया है।