बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की हठधर्मिता, छात्रों की तैयारी से अलग करा रहा अलग शैली के एग्जाम

बुंदेलखंड विश्वविद्यालय मनमानी करने पर उतारू, छात्र परेशान लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही

Jun 3, 2022 - 04:43
Jun 3, 2022 - 04:45
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बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की हठधर्मिता, छात्रों की तैयारी से अलग करा रहा अलग शैली के एग्जाम
बुंदेलखंड विश्वविद्यालय

बुंदेलखंड विश्वविद्यालय लंबे अर्से से छात्रों के हितों को दरकिनार रखकर अपने राजस्व को बढ़ाने के आरोपों में घिरा रहा है, इस फेरहिस्त में अब एक नया आरोप जुड़ता जा रहा है, दरअसल तीन वर्षीय विधि परीक्षा में विश्वविद्यालय द्वारा प्रतियोगी परीक्षाओं की तरह मल्टीपल च्वाइस प्रश्नों के माध्यम से विद्यार्थी सहज नही हो रहे। छात्रों का आरोप है कि सेशन जल्दी करने के चक्कर मे विश्वविद्यालय अपनी जेबें भर रहा है। 

छात्र उधेड़बुन में, कैसे होंगे एग्जाम:

विधि महाविद्यालयों द्वारा जैसे ही अपने यहां अध्ययनरत छात्रों को एग्जाम के पैटर्न और प्रकार के बारे में जानकारी उपलब्ध कराई गई उसके बाद से ही छात्र ऊहापोह की स्थिति में नजर आ रहे है, दरअसल कोरोनकाल के दौरान विश्वविद्यालय ने कम समय और संक्रमण का हवाला देकर जिस तरह एन वक्त पर बहु विकल्पीय प्रश्नों वाले प्रश्नपत्रों को परीक्षा में प्रयोग किया उसकी वजह से अधूरी तैयारी के साथ छात्रों को परीक्षा देने पर भारी समस्या से गुजरना पड़ा, नतीजन बहुत सारे छात्रों को तैयार किये गए विषयों में फेल होकर दोबारा बैक पेपर में बैठना पड़ रहा है, तीन वर्षीय विधि पाठ्यक्रम के अंतिम सेमेस्टर के छात्रों ने उदय बुलेटिन को बताया कि इस सेमेस्टर में भी विश्वविद्यालय अपनी मनमानी करने पर उतारू है। दरअसल जुलाई के माह में विश्वविद्यालय द्वारा संभावित परीक्षा का आयोजन कराया जाना है और आज के समयानुसार छात्रों के पास एक महीने से भी कम समय बचा हुआ है, इस दौरान पूरे पाठ्यक्रम की पढ़ाई की तैयारी नए पैटर्न से पढ़ना और समझना लगभग असम्भव हो जाएगा और नतीजन करीब 80-90 प्रतिशत छात्र कई विषयों में फेल होंगे जिसका लाभ पूरे तरीके से विश्वविद्यालय को होने वाला है क्योंकि दोबारा एग्जाम होने पर विश्वविद्यालय को परीक्षा फ़ीस की प्राप्ति होगी। 

छात्र करेंगे भारी आंदोलन:

समूचे बुंदेलखंड में विधि के छात्रों ने विश्वविद्यालय की इस हठधर्मिता को रोकने के लिए भारी आंदोलन करने के लिए सहमति बनाई है, छात्रों के अनुसार अगर विश्वविद्यालय अपनी हरकतों से बाज नही आता तो छात्र आंदोलन करने के लिए विवश होंगे छात्रों के अनुसार या तो विश्वविद्यालय अपनी हठ छोड़ दे और पुराने तरीके से परीक्षा को पूर्ण कराए या फिर आमरण अनशन के साथ-साथ परीक्षा का सामूहिक बहिष्कार किया जाएगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी विश्वविद्यालय की होगी। 

छात्र झेल रहे है परीक्षा में समस्या:

छात्रों की समस्याओं का अंदाजा इस विषय से लगाया जा सकता है कि बाँदा जिले में विधि की सेमेस्टर परीक्षा को देने के लिए छात्रों को मुख्यालय छोड़कर लगभग 35-40 किलोमीटर दूर जाकर अतर्रा पीजी कालेज जाना पड़ता है, अब इसे विडंबना ही कहा जाए तो सही होगा कि जिस मुख्यालय में सभी सुविधाओं के होने का दावा किया जाता है वहां छात्रों को सिमट कर अतर्रा जाना पड़ता है, छात्रों की मांग है कि प्रत्येक जिला मुख्यालय में परीक्षा का इंतेजाम कराया जाए। 

Shivjeet Tiwari वकालत की पाठशाला में अध्ययनरत बुंदेली लेखक - धर्म से हिन्दू, विचारों से नवोन्मेषी, और पुरातन संस्कृति के साथ नवाचारों के प्रयोग के लिए प्रतिबद्ध