महोबा की स्वास्थ्य सेवाएं ध्वस्त, नवजात बच्चे को चींटियों ने मार डाला
उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पताल मौत का घर साबित हो रहे, 3 दिन के नवजात को अस्पताल के वार्ड में चीटियों ने खा लिया जिससे मासूम बच्चे की मौत हो गयी
ताजा मामला महोबा जिले के महिला चिकित्सालय से जुड़ा हुआ है, जहां पर हाल में ही जन्मे नवजात के साथ अस्पताल प्रशासन के द्वारा लापरवाही बरतने के आरोप लगे है। घटना में तीन दिन का नवजात मौत की नींद सो चुका है और अस्पताल प्रशासन अपनी गलती मानने को तैयार ही नही है।
मौत का घर साबित हो रहे सरकारी अस्पताल:
महोबा जिले के चरखारी सीएचसी में आवश्यक रक्त की जगह रंगीन ग्लूकोज चढ़ाने की घटना के बाद जिला महिला चिकित्सालय से बेहद ह्रदय विदारक घटना सामने आई है, दरअसल बीते दिन 1 जून 2022 को महिला जिला अस्पताल में भर्ती एक शिशु की देखरेख के अभाव और अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के चलते मौत हो गयी। बताते चले कि महोबा जिले के मूढारी गांव निवासी सुरेंद्र रैकवार की पत्नी सीमा को प्रसव पीड़ा हुई, इसके चलते 30 मई को सीमा को लेकर जिला महिला अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां पर देर रात सीमा ने पुत्र को जन्म दिया, बच्चे की तबियत कुछ ज्यादा ठीक न होने से बच्चे को चाइल्ड केयर वार्ड में अतिरिक्त देखरेख के लिए भर्ती कराया गया जहां पर नवजात की मौत हो गयी। मृतक नवजात के परिजनों ने आरोप लगाए कि जिस बिस्तर पर नवजात को लिटाया गया था वहां पर भारी मात्रा में चींटियां थी और बिना देखे समझे बच्चे को चींटियों के साथ लिटाया गया, नतीजन चींटियों के काटने से नवजात की मौत हो गयी।
पैसे भी दिए फिर भी जान ले ली:
बिलखते हुए परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर बेहद संगीन आरोप लगाए है, परिजनों में से नवजात की बुआ राजकुमारी और राजदेवी ने मीडिया से बिलखते हुए बताया कि हमने सुरक्षित प्रसव कराने के लिए डॉक्टर को 6500 रुपये का सुविधा शुल्क भी मुहैया कराया था, यही नही बीती रात जब परिजनों ने स्टाफ नर्स से बच्चे को देखने की गुजारिश की तो सोकर उठी हुई नर्स ने कोल्ड ड्रिंक की मांग की, जिसको परिजनों के आनन-फानन में पूरा किया और नजदीक से देखने पर पता चला कि नवजात के सर पर चींटियों का अंबार है, यही नही फर्श पर भी चींटियों का समूह रेंगते हुए नजर आया, बाद में बच्चे को मृत पाया गया।
मजदूरी करते है परिजन:
मीडिया से बात करते हुए परिजनों ने बताया कि नवजात का पिता सुरेंद्र रैकवार मजदूर है और दिन भर मेहनत करके तालाबों से मछली पकड़ने के साथ-साथ सिंघाड़े की फसल तोड़ने का कार्य करते है, पत्नी सीमा का यह दूसरा बच्चा था जो अब मौत के आगोश में समा चुका है।
मामले की जानकारी होने पर सीएमएस ने जांच के आदेश दिए है लेकिन अस्पताल में आने-जाने वाले लोगों के अनुसार यह महज एक खाना पूर्ति से ज्यादा कुछ नही है। अगर अस्पताल में हर प्रसव पर मरीजों से पैसे ऐंठे जा रहे है तो ये संभव ही नही है कि सीएमओ और सीएमएस को इस मामले पर जानकारी न हो। परिजनों ने पूरे सिस्टम के मिले होने के आरोप लगाए है, देखना यह है कि इस मामले पर गाज किसी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पर गिरती है या जिम्मेदार लोगों की गर्दन नापी जाएगी।