पेशा चिकित्सा और काम दलाली का, बाँदा जिला महिला अस्पताल के हालात बेहद खराब

बाँदा के सरकारी महिला अस्पताल में घूँस दिए बिना नहीं होगा इलाज, गर्भवती महिला इलाज के लिए तड़पती रही और डॉक्टर ने 7000 रूपये की घूँस के बिना इलाज करने से किया मना

Apr 28, 2022 - 20:03
Apr 29, 2022 - 03:32
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पेशा चिकित्सा और काम दलाली का,  बाँदा जिला महिला अस्पताल के हालात बेहद खराब
Banda District Women Hospital

अगर आरोपों को सही मान लिया जाए तो बाँदा के जिला अस्पताल परिसर में संचालित जिला महिला चिकित्सालय के चिकित्सकों के ऊपर गंभीर आरोप मरीजों और तीमारदारों द्वारा लगाए गए है, परिजनों ने आरोप लगाए कि अस्पताल मरीजों को जानबूझकर परेशानी में डालता है और समस्या बढ़ने पर पैसो की डिमांड करता है, पैसे न देने की स्थिति में दूसरे अस्पतालों के लिए रिफर करने का दबाव बनाता है"

नाम सरकारी और काम हैवानी:

दरअसल बीती रात बाँदा जिले के कमासिन थाना क्षेत्र की एक गर्भवती महिला को उसके परिजन प्रसव हेतु महिला चिकित्सालय लाये थे ताकि प्रसव सही सलामत तरीके से हो सके लेकिन महिला जिलाअस्पताल की कार्यशैली को देखकर परिजनों के होश फाख्ता हो गए, दरअसल सुरक्षित प्रसव कराने के नाम पर महिला जिला अस्पताल की डॉक्टर ने महिला को एकांत में डाल दिया और हालात खराब होने का इंतजार किया साथ ही जब प्रसूता महिला की तबियत ज्यादा खराब होने लगी तो परिजनों के आरोप के अनुसार डॉक्टर ने 7000 रुपयों की मांग कर दी।

परिजनों ने निजी मीडिया चैनल पर आरोप लगाते हुए बताया कि पैसे लेने के बावजूद भी डॉक्टरों द्वारा लगातार उपेक्षा किये जाने पर जब परिजनों ने रोष जताया और मीडिया के सामने रिश्वत लिए जाने की बात कही तो डॉक्टरों ने इसी खराब हालत में प्रयाग रिफर किये जाने की बात कही।

पहले भी लग चुके है आरोप:

अगर आरोपो पर नजर डाले तो यह पहला मामला नही है बल्कि इससे पहले सैकड़ो बार महिला चिकित्सालय पर पैसे लेकर प्रसव कराने, लापरवाही बरतने के आरोप लगे है, यही नही भेद खुलने पर मरीज को बाहर का रास्ता दिखाया जाता है, और कई बार ऐसी स्थिति में मरीजों को मौत के आगोश में समाना पड़ता है

सरकार के दावे विफल:

वैसे तो सरकार हमेशा दावे करती है कि गर्भवती महिलाओं के सुरक्षित प्रसव के लिए अस्पताल बेहद आवश्यक है और चूंकि प्रदेश की भारी आबादी ऐसी स्थिति में नही है कि वह निजी अस्पतालों में इलाज करवा सके, नतीजन उसे सरकारी अस्पतालों का  ही रुख करना पड़ता है, लेकिन  यहां हालात बद से बदतर है, देखना यह होगा कि इस मामले पर जिले के जिम्मेदार अधिकारी इस मामले पर बड़ी कार्यवाही करते है या फिर महज जांच का ढोंग रचकर इस कारनामे को आगे बढ़ाते है।

Shivjeet Tiwari वकालत की पाठशाला में अध्ययनरत बुंदेली लेखक - धर्म से हिन्दू, विचारों से नवोन्मेषी, और पुरातन संस्कृति के साथ नवाचारों के प्रयोग के लिए प्रतिबद्ध