उदयपुर में इंसानियत अस्त हो गयी, धर्म का इतना विकृत रूप पहले कभी नही देखा

पैगंबर मोहम्मद को लेकर बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया में पोस्ट करने और आई सपोर्ट नुपुर शर्मा कि डीपी लगाने की वजह से मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद ने कन्हैयालाल नाम के टेलर की गला रेतकर हत्या कर दी थी।

Jun 30, 2022 - 00:47
Jun 30, 2022 - 00:47
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उदयपुर में इंसानियत अस्त हो गयी, धर्म का इतना विकृत रूप पहले कभी नही देखा
kanhaiya lal udaipur murder

इतिहास गवाह है कि जब सरकारें तुष्टिकरण की राह पर चल पड़े तो भविष्य खतरनाक होने लगता है और राजस्थान के उदयपुर में कुछ ऐसा ही हुआ है, ताजा मामला एक ह्रदय विदारक घटना से जुड़ा है जहां पर महज नूपुर शर्मा के समर्थन के कारण धमकी देकर हत्या को अंजाम दे दिया गया, मृतक ने इस मामले में पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराई थी, सुरक्षा की मांग की थी लेकिन सरकार के ढीले रवैये और लचर पुलिस व्यवस्था ने कन्हैयालाल तेली को मरने दिया, और धर्मांध लोगों ने दर्दनाक हत्या को बाकायदा शूट भी किया और सोशल मीडिया पर डाला"

डीपी लगाना हत्या का बना कारण:

ये वो देश है जिसमें लोगों को अपनी सहमति और असहमति जताने के अधिकार है, लोग अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर प्रधानमंत्री को गाली दे सकते है, नारीवादी होने के आधार पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम को गाली दे सकते है, कला के नाम पर हिन्दू देवी-देवताओं की नंगी तस्वीरें बना सकते है, लेकिन अगर आप नुपुर शर्मा के समर्थन में डीपी लगाते है तो "गुस्ताख़ के रसूल की सजा, सर तन से जुदा" वाला किस्सा दोहराया जा सकता है। 

राजस्थान का उदयपुर शहर में कन्हैयालाल जो बाजार में टेलरिंग का काम करता था उसने बीते दिनों भाजपा नेता नूपुर शर्मा के विवादित बयान को अपना समर्थन दिया और "आई स्पोर्ट नूपुर शर्मा" वाली डीपी व्हाट्सएप और फेसबुक पर लगाई, नतीजन कन्हैयालाल को डेथ थ्रेड मिलने लगे, हालांकि शुरुआत से ही कन्हैयालाल ने स्थानीय पुलिस को इस बारे में सूचना दी और एतिहातन दुकान को भी 6 दिनों के लिए बंद रखा, लेकिन जैसे ही दुकान खोली कन्हैयालाल को सरेआम काट दिया गया, यही नही बल्कि हत्याकांड का वीडियो बाकायदा शूट किया गया जिसे सोशल मीडिया पर डाला गया ताकि लोगों के दिलो में ख़ौफ़ पैदा हो और इस घटना के बाद एक कुबूलनामा भी वीडियो के रूप में पेश किया गया। 

क्या गलत क्या सही: 

देखिए अगर विचारकों की मानें तो इस वाकये की शुरुआत नबी की शान में गुस्ताखी के बाद ही शुरू हुई थी, जाहिर सी बात है कि अगर कोई ऐसा वाकया होता है जिससे लोगों की भावनाएँ आहत होती है तो उसमें विरोध होता ही है, लोग आवाज उठाते है, लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नही है कि लोग कानून और संविधान को दरकिनार करके धर्म की आड़ में लोगों की हत्याएं होना शुरू हो जाएंगी, अगर ऐसा होता है तो भविष्य बेहद खतरनाक होने वाला है, ये अलार्म है, जिसे जानबूझकर ट्रिगर किया गया है। 

दरअसल ये वो देश है जहां आप गांधी को देश के बंटवारे के लिए दोषी ठहरा सकते है, आप गोडसे को गांधी के समकक्ष रख सकते है, आप वंदे मातरम को गाने से मना कर सकते है, आप राष्ट्रगान के समय उठकर आदर करने से मना कर सकते है, आप भारत माता को डायन बोल सकते है, ये सहमति और असहमति की भावनाओं से भरा हुआ देश है लेकिन किसी को यह आजादी किसने दे दी कि आप लोगों को उनकी असहमति के नाम पर हत्याएं करना शुरू कर दे। 

लोगों ने कन्हैयालाल के प्रति अपनी भावनाओं को सोशल मीडिया पर कुछ इस तरह से प्रस्तुत किया है...

बुद्धिजीवियों के मुँह में दही जमना शुरू:

अब इसे राजनीति का तुष्टिकरण ही कहा जायेगा क्योंकि अगर यह घटना राजस्थान में न हुई होती और हत्या करने वाला समुदाय विशेष से न होता तो हालात क्या होते, मामला यूनाइटेड नेशन में गूंजता, समुदाय विशेष के लोगों के लिए भारत असुरक्षित हो जाता, टीवी डिबेट होती, बड़ा हो हल्ला मचता, विपक्षी दल, सो काल्ड एक्टविस्ट ज्ञान उगलते, संसद में हंगामा होता, देशभर के नेताओं के लिए वह राज्य हत्या टूरिज्म के लिए केंद्र बन जाता, इसे बेहद बड़ा मुद्दा बनाया जाता, लेकिन आज ऐसा नही है, ज्ञानी लोग चुप है, इसके लिए नूपुर शर्मा को दोषी बता रहे है। लेकिन कन्हैयालाल की मौत पर एक शब्द बोलने को तैयार नही है, क्योंकि नबी की शान तो शान है, जबकि उसी नबी की बनाई गई इंसानियत तार-तार हो रही है। 

कुछ सवाल जो लंबे अरसे तक जिंदा रहेंगे:

कुछ सवाल है जो बेहद ज्वलंत है और इनका पूँछा जाना बेहद जरूरी है..

  • क्या कोई धर्म इंसान की जान से कीमती है, जब इंसान ही नही रहेंगे तो धर्म का अस्तित्व क्या रहेगा?
  • क्या जिस नबी के नाम पर धर्मांध लोगों ने कन्हैया कुमार को काट दिया वो नबी इस हत्या से खुश होंगे?
  • नूपुर शर्मा के बयान के बाद जिन्होंने सर तन से जुदा वाले नारे लगाए उनके कालेजों को ठंडक मिलेगी?
  • क्या इस तरह के भड़काऊ नारे लगाने वालों को जेल में ठूसा जाएगा?
  • क्या उदयपुर पुलिस इस घटना के लिए उतनी ही जिम्मेदार है जितने कि आरोपी ?
  • क्या हत्या के लिए वर्तमान राजस्थान सरकार जिम्मेदार नही है ?
  • क्या अशोक गहलोत का प्रधानमंत्री पर सवाल उठाना अपनी गलती छुपाने का प्रयास है ?

और आखिर में

  • ये बदले की आग समाज को कहां लेकर जाएगी?

डिस्क्लेमर: इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार प्रस्तुत किये है, उम्मीद है इससे किसी की धर्मिक भावनाएं आहत नही होगी और सर तन से जुदा वाली घटना को लेखक के ऊपर नही आजमाया जाएगा

Shivjeet Tiwari वकालत की पाठशाला में अध्ययनरत बुंदेली लेखक - धर्म से हिन्दू, विचारों से नवोन्मेषी, और पुरातन संस्कृति के साथ नवाचारों के प्रयोग के लिए प्रतिबद्ध