क्या कश्मीर में टारगेट किलिंग का कारण एक फिल्म है या सोची समझी साजिश?

कश्मीरी हिन्दुओं की टारगेट किलिंग, सैकड़ों हिन्दू परिवार घाटी से जान बचाकर भागने को मजबूर। क्या सन 1990 को दोहराया जा रहा है?

Jun 4, 2022 - 21:46
Jun 4, 2022 - 21:48
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क्या कश्मीर में टारगेट किलिंग का कारण एक फिल्म है या सोची समझी साजिश?
कश्मीरी हिन्दुओं की टारगेट किलिंग

बीते दिनों हिंदी सिनेमा की एक फिल्म आयी थी "द कश्मीर फाइल्स" जिसको लेकर देश दुनिया मे हो हल्ला हुआ, सिनेमाघरों हाउसफुल कैसे होते है इसके बारे में लोगों ने जाना। यह फ़िल्म मूलतः कश्मीर से विस्थापित पंडितों और हिंदुओ के ऊपर हुए अत्याचार पर आधारित थी, जिसमें वर्ष 1990 के दौरान  रेडिकल इस्लामिक आतंकवाद के कहर को दर्शाया गया था, अब 2022 में भी ठीक वैसे ही हालात कश्मीर की सरजमीं पर पनप रहे है, ठीक उसी तर्ज पर हिंदुओ और पंडितों को टारगेट करके गोलियों से भूना जा रहा है और लोग दबी जुबान में यह भी कह रहे है कि इस फ़िल्म ने सच दिखाने की जुर्रत की तो अब खामियाजा भी कश्मीरी पंडितों को भुगतना पड़ेगा। 

क्या है मामला?

दरअसल मामला कश्मीरी हिन्दुओं के जीवन से जुड़ा हुआ है बीते कुछ दिनों से कश्मीर में बसे हुए विस्थापित हिंदुओ/ पंडितों को दोबारा मुख्यधारा में लाने के लिए सरकारों ने उन्हें सरकारी नौकरियों पर पदस्थ करके वापस कश्मीर भेजा और उनके लिए निश्चित जगहों पर आवासीय सुविधाएं प्रदान की, लेकिन अब हालात ठीक वैसे ही होने लगे है जैसे कभी1990 में हुआ करते थे, अंतर बस इतना है कि अब मस्जिदों से अजान के बाद एनाउंसमेंट नही होता, बस साइलेंट किलर की तरह पहले टारगेट निश्चित किया जाता है उसके बाद मौके पर जाकर शूट कर दिया जाता है। हालात यह है कि महज 27 दिनों में 10 काश्मीरी हिंदुओ को मार दिया गया है, बैंक मैनेजर विजय कुमार भी इन्हीं लोगों मे शामिल है जिनकी हत्या बीते दिनों बैंक में घुसकर की गई। 

कौन है इसके पीछे?

इसके पीछे किसी एक संगठन या समूह का हाँथ हो इसके आसार बेहद कम ही लगते है दरअसल सुरक्षा एजेंसियां लगातार इस मुद्दे पर खोजबीन कर रही है, देश के गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस मामले पर मीटिंग्स का दौर शुरू किया है, अगर सूत्रों की माने तो भले ही बैंक मैनेजर की हत्या की जिम्मेदारी नवोदित आतंकी संगठन कश्मीर फ्रीडम फाइटर नामक संगठन ने ली हो लेकिन इसके पीछे कई संगठन मसलन आइएसआइएस के साथ-साथ पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई का भी हाँथ होने की पूरी गुंजाइश है। 

कश्मीरी हिन्दू कर रहे सामूहिक पलायन:

अगर कश्मीर से पलायन करते हुए हिन्दुओं की मानें तो कश्मीर में वही 1990 के पलायन का दौर शुरू हो चुका है, प्रदर्शन और पलायन का दौर जारी है, बडगाम नामक जगह से 350 परिवारों में से लगभग150 परिवारों ने कश्मीर से निकलने में ही भलाई समझी है वहीँ रामबन से भी लोग निकलने की कोशिश में लगे हुए है, बशर्ते उन्हें इस बात की भी शंका है कि धर्मांध आतंकी उनपर निकलते वक्त भी हमला कर सकते है। 

केंद्र में मीटिंग्स का दौर जारी, अमित शाह ले सकते है बड़ा फैसला:

चूंकि आतंकी इन दिनों सेना से खुलकर लड़ने के मूड में नही है, केंद्र सरकार भारतीय सेना के हाँथ लगातार खोले हुए है यही कारण है कि जो संगठन या संगठन का नेता सेना के सामने आता है वह जल्द ही शांत हो जाता है, इसके बजाय आतंकी संगठनों ने लोगों के दिलो में ख़ौफ़ को पैदा करने का बीड़ा उठाया है, सूत्रों की माने तो केंद्र अब सेना को और आक्रामक ढंग से कार्यवाही करने का आदेश दे सकती है, देखना यह होगा कि सरकार कश्मीरी हिन्दुओं के लिए कोई सफल और सार्थक कदम उठाती है या फिर किसी फिल्म के लिए नई कहानी तैयार होती है। 

Shivjeet Tiwari वकालत की पाठशाला में अध्ययनरत बुंदेली लेखक - धर्म से हिन्दू, विचारों से नवोन्मेषी, और पुरातन संस्कृति के साथ नवाचारों के प्रयोग के लिए प्रतिबद्ध