कहां तक रोकोगे आग से जब फिज़ा में धुआं ही धुआं है
फितरत से वो बाज़ नहीं आते, और एक हम हैं अपनी हरकतें छोड़ नहीं सकते। कुछ इसी दायरे में कांवड़ यात्रा सुर्खी में थी। बदले नामों की दास्तां सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत अधूरे सवालों के बीच आज भी मौजूद है। इसी बीच एक मसला और सामने है, इसका सम्बंध भी भोजनालयों से है। कांवड़ यात्रा के दौरान सड़कों पर बने बदले नाम वाले भोजनालय चर्चा में आए थे। अब हवाई जहाज में दिये गए भोजन सुर्खियां बटोर रहे हैं।
मसला विस्तारा एयरलाइंस का है जहां एक यात्री की शरारत ने दिये गए भोजन (meal) को हिन्दू-मुस्लिम का नाम देकर एक नई दुविधा को जन्म दे दिया। मामला कांवड़ यात्रा के बीच बने भोजनालय से उठ कर हवाई यात्रा में परोसे जाने वाले भोजन पर आ चुका है। पहला मसला कुछ धर्म और नाम तक सीमित था। हवाई यात्रा पर शाकाहारी और मांसाहारी भोजन को हिन्दू और मुस्लिम करार देने पर उलझ गया। फिलहाल खबर लगते ही और बिना समझे बयानवीरों के बयान पतझड़ के पत्तों की तरह सामने आने लगे।
इसे गलतफहमी कहें या शरारत, लेकिन सवाल और जवाब से न किसी को रोका जा सकता है न ही किसी को जवाबदेह ठहराने की कोशिश की जा सकती है। मामला विस्तारा एयरलाइंस का है, जिसका जम्मू-श्रीनगर फ्लाइट का स्क्रीनशॉट शेयर कर एक यात्री ने किस मकसद से मसले को उठाया इसका तो पता नहीं जबकि पहले से ही IATA (यानि इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसियशन ) की तरफ से खाने की चीजों के खास कोड निर्धारित किए गए हैं जिसमे हिन्दु या मुस्लिम मील जैसे शब्द नहीं हैं और न ही विस्तारा की तरफ से दिये जाते हैं। ये नदानी थी न गलतफहमी, जान बूझकर तनाव बढ़ाने की इसे कोशिश कहना गलत न होगा।
सियासत के भौकाले जंतुओं तक जैसे ही खबर पहुंचेगी समझना होगा सांप्रदायिकता का सवाल उठेगा और सेक्युलर का टैग लगाये जंबाजों की फौज सामने होगी। IATA की तरफ से ऐसी दो दर्जन कैटगिरि है ताकि एयर लाइंस सेवा में एकरूपता बनी रहे। एविलाज कंसल्टेंट के सीईओ संजय लाजर बताते हैं कि हिन्दू मील के लिए निर्धारित कोड है HNML लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि अनिवार्य रूप से वेज खाना ही होगा, नानवेज भी हो सकता पर हलाल नहीं। इसी तरह MOML कोड वाले मुस्लिम मील में नानवेज होने की गारंटी नहीं लेकिन वो हलाल होगा यह तय है।
24 कैटेगिरी की एक लिस्ट है जिसमें VGML मतलब शाकाहारी वीगन खाना है, इसमें न कोई एनिमल प्रोडक्ट होगा, न अंडे और न ही डेयरी प्रोडक्ट। फिर ये चर्चा क्यों, ये एक यात्री की शरारत है जिसमें उसकी मंशा साफ झलकती है।