आतंकवाद अब कश्मीर की वादियों से निकलकर उन इलाकों को गिरफ्त में ले चुका है जहां कभी सुकून का सच बिखरा नजर आता है। विशाखापत्तनम के बाद पाकिस्तान के लिए जासूसी का एक बड़ा नेटवर्क आकार लेता जिसमें उत्तर प्रदेश भी अछूता नही कहा जा सकता। एनआईए के छापें इस बात की तस्दीक़ के सहारनपुर, अलीगढ़ और आजमगढ़ आतंकवाद की नर्सरी ही नहीं बल्कि पनाह देने वालों की एक मुकम्मल व्यवस्था है। सवाल सिर्फ आतंकवाद को कुचलने का नहीं बल्कि सख्त फैसलों के तहत उन चेहरों को नोच डालने का है जो राष्ट्रीय सुरक्षा और अस्मिता को भेद ही नहीं रहे हैं, बल्कि भारत में विद्रोह का षड़यंत्र रच रहे हैं। इसी तानेबाने के सच को कुचलने की कोशिश की जाए।
टटोलना होगा उन चेहरों को जहा से आतंकियों को शरण मिलती और उन प्लेटफॉर्म को जिनके जरिये आतंक के सरमायदार भारत में अपने गुनाहों का जाल फैलाने लगे है। बात जब प्लेटफार्म की आती है तो एक शब्द टेलीग्राम का उभरता हैं। ये एप है, जिसका आजकल आतंकवादी खुल कर इस्तेमाल कर रहे हैं। टेलीग्राम एप है, क्या इसकी विस्तृत जानकारी हासिल करने से पहले जरूरी है। ये जानना इसके जरिए भारत में किस तरह का गुल खिलाया जा रहा है।
कश्मीर में भारतीय जवानों पर हमला जहां इसका सटीक उदाहरण है। वही टेलीग्राम के सुलभ प्लेटफार्म के जरिए UGC net और NEET परीक्षा के पेपर लीक किए गए देश में कोहराम मचा मसला सुप्रीम कोर्ट तक गया लेकिन आज के तारीख में टेलीग्राम एप पर प्रतिबंध की आवाज किसी कोने से भी नहीं उठी। दुर्भाग्य की बात है कि एप भारत की सुरक्षा व्यवस्था और आंतरिक तानेबाने को सीधे चुनौती देता सामने है लेकिन उस स्रोत पर लगाम लगाने की आवाज किसी कोने से आज तक नहीं उठी।
चर्चा-ए-आम है, टेलीग्राम बच्चों के गंदे वीडियोज़, आतंकवादियों के आपसी नेटवर्क के संचालन का अहम प्लेटफार्म है तो इसपर रोक क्यों नहीं। इसी संदर्भ को टटोलते हुए जानना जरूरी हैं कि टेलीग्राम का इतिहास क्या है। दो रूसी भाइयों ने 2013 के दौरान टेलीग्राम मैसेन्जर एप बनाया था। जो 10 साल के भीतर विश्व पटल पर छा गया। आज के तारीख में इसके 70 करोड़ से ज्यादा एक्टिव यूजर्स हैं। गणितज्ञ रहे निकोलाई वालेरेविच दुरोव और बिजनेस एग्जीक्यूटिव पावेल दुरोव के आइडिया से टेलीग्राम का जन्म हुआ। टेलीग्राम की स्थापना के साथ विवादों का भी जन्म हुआ जिसके चलते दोनों भाइयों को रूस छोड़ना पड़ा और बाद में पेरिस में इन्हे गिरफ्तार कर लिया गया।
व्हाट्सएप, फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम व टिकटोक के बाद चैट का सबसे लोकप्रिय प्लेटफार्म टेलीग्राम हैं।
आतंकवाद, हेट स्पीच और प्रोपेगंडा का आधार स्तंभ बनते जा रहे टेलीग्राम को भारत में बैन करने की इस लिए भी जरूरी है कि चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी के मामलों में टेलीग्राम ने विश्व में तहलका मचा दिया। ये अकेला एप है जिसका प्रचार नही किया जाता लेकिन अपनी हरकतों के चलते विश्व में चर्चित और प्रचलित हैं। बच्चों के गंदे वीडियो के खिलाफ अभियान चला और हजारों सबंधित वीडियो के प्रतिबंधित किया गया।
इस प्लेटफार्म पर सीपी नाम से बच्चों के गंदे वीडियोज़ कि खरीद फरोख्त खुलेआम होती हैं।
इसी क्रम व्हाट्सएप और टेलीग्राम के फर्क को भी समझना जरूरी हैं। व्हाट्सएप और अन्य मैसेजिंग एप में दूसरे पक्ष का फोन नंबर जरूरी है। लेकिन टेलीग्राम ने यदि दूसरे का नंबर भूल भी गए तब भी इसका इस्तेमाल कर सकते है। उसके अलावा आप अपनी पूरी मैसेज हिस्ट्री वीडियोज़ और फाइलों को क्लाउड पर सहेज कर रख भी सकते है। जब चाहे इसके इस्तेमाल की भी पूरी गुंजाइश है।