उदय बुलेटिन
  • ट्रेंडिंग
  • फोटो
  • वीडियो
  • वेब स्टोरीज
  • शहर चुनें
  • होम
  • उत्तर प्रदेश
  • देश
  • राजनीति
  • टेक्नोलॉजी
  • स्वास्थ्य
  • अपराध
  • क्रिकेट
  • मनोरंजन
  • बिजनेस
  • करियर
  • धर्म
  • लाइफस्टाइल
Reading: जहर बुझे बाजार, सैंपल बटोरे सरकार
साझा करें
Notification
Font ResizerAa
उदय बुलेटिन
  • वेब स्टोरीज
  • होम
  • उत्तर प्रदेश
  • देश
  • राजनीति
  • टेक्नोलॉजी
  • स्वास्थ्य
  • अपराध
  • क्रिकेट
  • मनोरंजन
  • बिजनेस
  • करियर
  • धर्म
  • लाइफस्टाइल
Search
  • होम
  • उत्तर प्रदेश
  • देश
  • राजनीति
  • टेक्नोलॉजी
  • स्वास्थ्य
  • अपराध
  • क्रिकेट
  • मनोरंजन
  • बिजनेस
  • करियर
  • धर्म
  • लाइफस्टाइल
Follow US
© 2024. All Rights Reserved.

Home - देश - उत्तर प्रदेश - जहर बुझे बाजार, सैंपल बटोरे सरकार

जहर बुझे बाजार, सैंपल बटोरे सरकार

Sukirt
Last updated: अक्टूबर 14, 2024 12:57 अपराह्न
By : Sukirt Published on : 7 महीना पहले
Thumbnail
साझा करें
Highlights
  • तुम जहर परोसो हम सैम्पल

आप जहर बुझी व्यवस्था के नायक हैं। मिलावट खोरों, बढ़ता साम्राज्य, कालाबाजारियों के हौसलों की चरमता, भ्रष्टाचारियों की हनक भरी दास्तां, आर्थिक घोटालों की सनसनीखेज खबरों के बीच खो गया आम इंसान। सवाल उठता है, हम खा क्या रहे हैं और आप यानी सरकार कर क्या रही है। मिलावटखोरी दुनिया का एक ऐसा संगठित अपराध का सच है, जो निडरता के साथ जहर परोसता है और जिनकी जिम्मेदारी है वह कभी एकाध सैम्पल लेकर खामोशी की चादर ओढ़कर अगले वेतन के इंतज़ार में नजर आते हैं।

आतंकवादी एक झटके में काम तमाम कर देते हैं और ये मिलावटखोर धीमे ज़हर की खुराक दे कर तिल-तिल मरने के लिए आपको मजबूर कर देते हैं। शुद्धता शब्द बाजार से गायब है… लाभ की ख़्वाहिश इंसान को हत्यारा बना देती है… सरकार बताए तो सही कौन सा खाद्य पदार्थ शुद्ध है। मसाला, दूध, घी, मावा, सरसों तेल, सब्जी, फल, चाय, सब घातक रसायन, रंग व सिट्रिक एसिड के चलते सेहत के बजाए मौत का संदेश देते हुए आपके घरों पर पहुंच रहे हैं।

खुले बाजार का यह काला अध्याय, बेखौफ पनप रहा है, कुछ दिन पहले लखनऊ के आलम क्षेत्र में 15 सौ किलो मिलावटी देशी घी पकड़ा गया। खबर आई फिर क्या हुआ मिलावटखोर जालिम पकड़ा गया या छुट्टा घूम रहा है, इसकी भनक तक किसी को नहीं लगी। मसालों में खुलेआम मिलावट जारी है, भारी मुनाफा के चलते इंसान रूपी भेड़िये आम जनता की जिंदगी को धीरे-धीरे नोच रहे हैं लेकिन एक्शन जीरो।

क्यों, किसकी जिम्मेदारी है मसालें में सड़ा चावल, लकड़ी की बुरादा और सिट्रिक एसिड मिलाने वाले जालिमों को पकड़ कर जेल में ठूस देने की। हल्दी की चमक बढ़ाने के लिए लेड का इस्तेमाल होता है। यह वही लेड है जो आपकी आंख की रोशनी तक छीन सकता है। ये हत्यारे हैं, मानवीय संवेदनाओं से परे पशुओं से भी बदतर क्रूरता की जालिमाना सच्चाई है। सरकार खामोश क्यों है।

ज़ालिमों की बस्ती के ये नायक पुराने आलू को एसिड से धोकर उसकी रंगत बदल कर महंगा बेचने में कामयाब हो जाते हैं। क्या बाजारतंत्र बिचौलिये, मुनाफाखोरों, लुटेरों व कालाबाजारियों के हवाले कर दिया गया है। क्या कारण है कि सरकार इन पर नकेल कसने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है। जहरीले रंग से सब्जियों को सजा दो, दूध में डिटर्जेंट मिला दो, कहीं कोई अंकुश नहीं।

आम जनता भेड़ बकरियों का मुक रेवड़ है उसे जहां चाहो, जब चाहो हांको विरोध की आवाज भी उठी तो उसे वहीं दबा देने का दम है उनके पास। हर घर, हर बच्चे की प्राथमिक खुराक दूध। मिलावट की सबसे ज्यादा हरकतें दूध के साथ पेशआन होती हैं। कुछ दिन पहले केन्द्र सरकार ने संसद में जानकारी दी थी कि हर तीन में से दो मिलावट का दूध पी रहा है। मिलावट भी घातक रसायन व तत्वों की। मतलब डिटर्जेंट पाउडर, यूरिया, पेंट व कास्टिक सोडा।

मोटे आंकड़ों पर गौर करें तो कहा जा सकता है कि बाजार में उपलब्ध 50 से 60 प्रतिशत सामान किसी हद तक मिलावट का शिकार है। फलों व सब्जियों को जल्दी पकाने के लिए खुलेआम कीटनाशक का इस्तेमाल दरिंदे करते हैं। नतीजतन अस्पतालों में बढ़ते मरीजों की संख्या संक्रात्मक रोगों की तरह बढ़ता कैंसर, युवाओं और छोटे बच्चों तक में संकेत पथरी का पाया जाना, किडनी की बढ़ती समस्या, संकेत है हम सेहत के लिए सब्जी नहीं खा रहे, खा रहे धीमे जहर की वह खुराक जो बाजार में मौजूद हत्यारे हमें मंडियों में सजा कर सब्जियों के जरिये पेश कर रहे हैं।

मज़ाक जनता के साथ

जांच में देरी एक गंभीर समस्या व चिंता का सबब बनकर सामने है। 25 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में मात्र दो फूड जांच लैब है। सैम्पल की जांच रिपोर्ट जब तक नहीं आती दुकानदार को मिलावटी समान बेचने की आजादी रहती है। जांच रिपोर्ट आने में कई महीने लग जाते हैं। दूसरा सबसे बड़ा मज़ाक और भी चिंताजनक है।

मिलावट की पुष्टि हो जाने के बावजूद, मिलावटखोर को दो मौके दिए जाने का नियम है। इसमें दो बार सैम्पल भरवाया जाता है और अगर पास हो जाता है तो वह कार्रवाई से बच जाता है। इससे बड़ा मजाक उस जनता के साथ क्या हो सकता है, खाने के सामान के साथ जहर भी खा रहे हैं।

कानून भी, सजा भी, पर एक्शन नहीं

  • • जैसा खाद्य पदार्थ मांगा गया, दुकानदार ने वैसा नहीं दिया तो दो लाख जुर्माना।
  • • घटिया खाने का सामान बेचने पर तीन लाख का जुर्माना।
  • • भ्रम पैदा करने वाले, गलत विज्ञापन देने वाले पर दस लाख का फाइन।
  • • खाद्य सुरक्षा अफसर के निर्देश नहीं माने तो दो लाख का जुर्माना।
  • • समय से जुर्माना नहीं भरा तो तीन साल की कैद।
  • • खाद्य सुरक्षा कानून तोड़ने पर पांच लाख जुर्माने के साथ 6 साल की सजा।
  • • बगैर लाईसेंस खाद्य वस्तुओं का व्यापार करने पर 6 माह की कैद व पांच लाख का जुर्माना।

कानून सख्त पर मिलावट खोर मस्त कैसे, त्यौहारी सीजन दस्तक देने को तैयार मुनाफाखोर बाजार में माल भरने की तैयारी में लेकिन सरकारी हुक्मरान पस्त हौसलों की जानिब सुस्ती के आलम में कदम बढ़ाने को तैयार नहीं।

TAGGED:Breaking Newslucknowआतंकवादीउत्तर प्रदेशजहर
ख़बर साझा करें
Facebook Twitter Whatsapp Whatsapp Telegram Email Print
पिछली ख़बर Thumbnail सियासी फकीरों की सियासी ठगी
अगली ख़बर 'स्मार्ट' क्या होता, लखनऊ से पूछो ‘स्मार्ट’ क्या होता, लखनऊ से पूछो

ये भी पढ़ें

'स्मार्ट' क्या होता, लखनऊ से पूछो

‘स्मार्ट’ क्या होता, लखनऊ से पूछो

Thumbnail

जहर बुझे बाजार, सैंपल बटोरे सरकार

Thumbnail

सियासी फकीरों की सियासी ठगी

सिद्धा का फंसना

सिद्धा का फंसना

नौकरशाहों

नौकरशाहों, नौकरी भी सलामत और कमाई भी

Get Connected with us on social networks

Facebook-f X-twitter Instagram Youtube Linkedin-in Whatsapp Telegram-plane
Uday Bulletin Logo

Poppular Categories

  • देश
  • उत्तर प्रदेश
  • लखनऊ
  • राजनीति
  • Editor's Desk
  • वाराणसी
  • अयोध्या
  • स्वास्थ्य
  • मनोरंजन
  • कर्नाटक
  • धर्म
  • मणिपुर
  • महाराष्‍ट्र

Download APP

Google-play Apple
  • About us
  • Privacy Policy
  • Terms and Condition
  • Cookies Policy
  • Contact us
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?